शुक्रवार, 26 सितंबर 2008

रिश्ता

बड़ा विचित्र है , बुनावट

मेरे और उनके

रिश्ते का .

कभी अनुतरित ,

कभी अनसुलझा ,

कभी संभालना ,

कभी ठुकराना ,

कभी बखिये की तरह ,

उघर जाना .

चलते-चलते

अचानक ,बदल जाना ,

शायद , इन्द्रधनुष ,

या मृगमरीचिका ,

जो भी हो , अपने आप में ,

एक कमाल है , रिश्ता

मेरा और उनका

अमिताभ

शनिवार, 20 सितंबर 2008

उम्रभर

मैं दिया ,उम्मीद का,

जलता रहूँगा ,उम्रभर

हर रोज ,अँधेरी रात से ,

लड़ता रहूँगा, उम्रभर

मैं जलूँगा ,तम् हरूँगा ,

लौ न अपनी, मै कभी ,

मध्यम करूँगा ,

आंधी औ तूफान में भी ,

मैं सदा जलता रहूँगा .

साथ उनके, हर कदम पर ,

मैं रहूँगा ,उम्रभर

राह उनकी , हर घड़ी ,

रौशन करूँगा ,उम्रभर

बस अकेला, मैं यूं ही,

जलता रहूँगा ,सफर की ,

दुस्वारियो को ,

दूर करता ही रहूँगा ,उम्रभर

मैं दिया ,उम्मीद का ..........

अमिताभ

मंगलवार, 16 सितंबर 2008

आदते

बदल लो अपनी आदते ,
खुश ,रहने के वास्ते ,
यही कहा था ना आपने,
कल अँधेरी रात में ।
और ,कितनी दफा बदलू आदते ?
खुश रहने के वास्ते ।
चलो ,मान के आप की बातें ,
बदल लेता हु आदते ।
लेकिन किस्मत ,
अब इसका क्या करे !
जो नही है मेरे हिस्से में ,
उसे कहा से ,
लाऊ मैं ।
कितनी बार मिटाऊ मैं ,
ख़ुद अपनी पहचान ,
बस , अब किसी के वास्ते
नही बदलना ,है मुझे ।
अपनी , आदते ,
हा आदते
अमिताभ

बोलिए फ़िर क्या करे

जो आदत हो तो ,
छोर दे ,
आवश्यकता हो तो ,
विकल्प ले ।
पर ,अनिवार्यता हो तो ,
बोलिए फ़िर क्या करे ।
जो गर जिद्द हो तो ,
छोर दे ,
ज़रूरत हो तो ,
टाल दे ।
पर, जिंदगी हो तो ,
बोलिये फ़िर क्या करे ।
जो केवल सोच हो तो ,
बदल ले ,
सपना हो तो,
न देखे ।
पर ,साँस हो तो
बोलिए फ़िर क्या करे ।
जो बस पागलपन हो तो
छोर दे ।
प्यार हो तो ,
मुंह मोर ले ।
पर ,प्राण हो तो
बोलिए फ़िर क्या करे ।??
अमिताभ भूषण









सोमवार, 15 सितंबर 2008

दुनिया

ये दुनिया बहुत अजीब है
कभी उजार कभी हसीन है
कभी लुटाती है खुशिया
कभी लुट लेती है आशिया
कभी वरदान ,कभी अभिशाप
बन जाती है दुनिया
कभी जन्नत कभी
कभी जह्नानुम नज़र आती है दुनिया
कभी जिन्दगी को लुभाती
कभी मौत के लिए भी ,
बहुत ,तरसाती है दुनिया ,
कभी जख्म सहलाती
कभी ठोकर लगाती है दुनिया
हंसाते हंसाते ,रुलादेती है ,दुनिया
पल पल बदलना है ,फितरते दुनिया
कभी अपनी कभी परायी
बरी बेमुरव्वत ,
मगर जज्बाती है ,दुनिया
वहम नही हकीक़त है दुनिया
हर घरी हर कदम कुछ नया
सिखाती है दुनिया (२)
अमिताभ

पाती गुड़िया के नाम(दो)

भोली ,चंचल गुड़िया
अपना ध्यान रखना ।
अभी भी आप में,
बाकी है ,बचपना ।
हमेशा ,हौसला रखना
संभलना ,
मेरी उंगलिया , छोर चुकी हो आप,
पर ,डरना मत ,
मैं खरा हूँ हमेशा ,
जब भी जरुरत हो ,
आवाज देना,
लक्ष्य पाना ,सदा मुस्कुराना
आंसू ,उदासी,है हार की निशानी ,
और आप को ,है हर बार जितना
खूब सपने देखना ,
ख़ुद पर भरोसा रखना ,
देखना ,जगदम्बा पूरा करेंगी
आप का हर सपना .
अमिताभ

पाती गुड़िया के नाम (एक)

प्यारी ,गुड़िया
आप हमेशा खुश रहना ,
हर वक्त अपने मन की सुनना ,
जो, जी में आए ,
वही करना ,
भावना ,भावुकता ,संवेदना
इनसे ,सदा दूर रहना ,
दुनिया को अपनी ,
ठोकर में रखना ,
कभी किसी बात पर
मत पछताना ,
गलती इंसान की पहचान है ,
इसे याद रखना ,
रोज नई - नई ,गलती करना ,
सबक लेना,आगे बढ़ना
इंसानों के बीच ,जरुरी है
इंसान रहना (२)
अमिताभ भूषण

रविवार, 14 सितंबर 2008

प्रतीक्षा

प्रतीक्षा , सपनो के सच होने का
अब भी है मुझे ,
हताश नही हू ,मैं
हमेशा की तरह
देख रहा हू
रात औ दिन
बरे - बरे सपने
सपनो का टूटना
सपनो का जुटना

चलता रहता है, जीवन में
सपनो के बिखरने से
हमेशा हौसला
मिला है मुझे
तभी तो आज फ़िर से
प्रतीक्षारत हू में
उमर भर के लिए ?
नही, आगे के सभी जन्मो
के लिए

अमिताभ भूषण

शनिवार, 13 सितंबर 2008

जारी है पत्रकारिता

शराब के संग डेक पर
कबाब के संग मेज पर
शबाब के संग सेज पर
जारी है , इस दौर में पत्रकारिता
गन माईक के दम से ,
कलम के अहम् से ,
लक्ष्मी की चाहत में जारी है ,
जीवन बिगारने-बनानेकी पत्रकारिता
अनैतिक राहो ,से
अमानविये निगाहों से ,
अश्रधय भावों से ,
जारी है ,लुटने खसोटने की पत्रकारिता
टी आर पी की चाह में ,
विजुअल की चोरी से ,
मनगढ़ंत स्टोरी से जारी है ,
कलमुही पत्रकारिता
भुत प्रेत पिचास से ,
काम और अपराध के
बेहूदी बकवास से
जारी है , राक्षसी पत्रकारिता
मानिए न मानिए ,
आज के इस दौर में हो गई है ,
बदचलन औ बेहया पत्रकारिता

अमिताभ भूषण 9971760988