शनिवार, 13 सितंबर 2008

जारी है पत्रकारिता

शराब के संग डेक पर
कबाब के संग मेज पर
शबाब के संग सेज पर
जारी है , इस दौर में पत्रकारिता
गन माईक के दम से ,
कलम के अहम् से ,
लक्ष्मी की चाहत में जारी है ,
जीवन बिगारने-बनानेकी पत्रकारिता
अनैतिक राहो ,से
अमानविये निगाहों से ,
अश्रधय भावों से ,
जारी है ,लुटने खसोटने की पत्रकारिता
टी आर पी की चाह में ,
विजुअल की चोरी से ,
मनगढ़ंत स्टोरी से जारी है ,
कलमुही पत्रकारिता
भुत प्रेत पिचास से ,
काम और अपराध के
बेहूदी बकवास से
जारी है , राक्षसी पत्रकारिता
मानिए न मानिए ,
आज के इस दौर में हो गई है ,
बदचलन औ बेहया पत्रकारिता

अमिताभ भूषण 9971760988

1 टिप्पणी:

Unknown ने कहा…

sahi kavita hai..aaj ki samay ki patrikarita ko dhyan mein rakhkar likhi hai..ajkal aise hi to hota hai..good goin..keep it up..is blog ko sab channel ke CEO'S ko bhej do..acchha rahega..unhe shayad kuch samajh mein aajaye..