सोमवार, 15 सितंबर 2008

दुनिया

ये दुनिया बहुत अजीब है
कभी उजार कभी हसीन है
कभी लुटाती है खुशिया
कभी लुट लेती है आशिया
कभी वरदान ,कभी अभिशाप
बन जाती है दुनिया
कभी जन्नत कभी
कभी जह्नानुम नज़र आती है दुनिया
कभी जिन्दगी को लुभाती
कभी मौत के लिए भी ,
बहुत ,तरसाती है दुनिया ,
कभी जख्म सहलाती
कभी ठोकर लगाती है दुनिया
हंसाते हंसाते ,रुलादेती है ,दुनिया
पल पल बदलना है ,फितरते दुनिया
कभी अपनी कभी परायी
बरी बेमुरव्वत ,
मगर जज्बाती है ,दुनिया
वहम नही हकीक़त है दुनिया
हर घरी हर कदम कुछ नया
सिखाती है दुनिया (२)
अमिताभ

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