गुरुवार, 18 अगस्त 2016

हमेशा सलामत रहे बहिन


अनुभूति
नेह
नीर
प्रण
समर्पण
साहस
आस
और विश्वास
की बेहद ख़ास
लड़ी
आपकी
राखी
बांध ली है
कलाई पर ठीक वहीं
जहां, बांधी थी आपने
पिछली बार
और हां
तिलक भी वहीं है
माथे के ठिक
बीचोंबीच
लड्डू भी है
नारियल वाली
पर बहिन
आपके होने न होने में बहुत फ़र्क है
मईया ,आपको हमेशा खुश रखे,
फ़िलहाल
आँख भर प्रार्थना
हृदय भर शुभकामना
आत्मा भर दुलार
हाथ भर आशीष
आपकी दुनियां
हमेशा सलामत
रहे बहिन।।।।।।
                अनहद