बुधवार, 29 अक्तूबर 2008

अधूरा

सच है ये ,
अधूरा हूँ मैं .
सोच से ,
स्वभाव से ,
सपने से ,
हर ओर से ,
अधूरा हूँ मैं
जिस्म से ,
जज़्बात से ,
जिंदगी से ,
सब जगह से ,
अधूरा हूँ मैं
दिल से ,
दिमाग से ,
दास्तान से ,
यकीनन , जन्म से ,
अधूरा हूँ मैं .
नियत से ,
नज़र से ,
नसीब से ,
आपके बाद से,
अधूरा हूँ मैं .
पूर्णता असंभव है
व्यर्थ होंगी कोशिशे
अधूरा सही पर
"अनहद " हूँ मैं ,
हमेशा से ,
हाँ हमेशा से । । । ।
अमिताभ "अनहद"



शुक्रवार, 17 अक्तूबर 2008

चोट

यूं तो पहले भी ,
कई बार ,ठोकर लगी ,
लडखडाया , गीर पड़ा ,
घाव लगा ,दर्द उठा
निशान उभरा ,
शरीर था ज़ख्मी हुआ ,
सब सह गया .
ज़ख्म भरा ,टीस मिटा
दाग हटा ,हो खडा ,
फ़िर चल पड़ा .
शरीर था ,सो ,
पहले जैसा हो गया .
अबकी , जो चोटिल हुआ
घाव है, नासूर बना ,
रोने लगा ,मन बावला
बेअसर है , दुआ- दवा
बस अंतहीन है ,वेदना
दरसल
इसबार है घायल आत्मा
बस आत्मा ..................
अमिताभ