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अम्मा भी चली गयी
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प्रणाम बाबू जी
आज अम्मा भी
चली गयी
ठीक वैसे ही
चुपचाप
जैसे बरसो पहले
चले गए थे आप,
आपके बाद आपकी कमी
हमेशा रही बाबूजी
पर
बीते बीस साल में
अम्मा थी,
अब
वो भी नही रही
गोतिया-दियाद में
बस अम्मा ही तो साझी थी
अब वो भी चली गयी ,
अम्मा का जाना
क्षणभंगुर काया के
लोप से बहुत ज्यादा है बाबूजी
बस अम्मा ही तो थी
जिसके पास घर से जवार तक
सब की खोज ख़बर थी
अम्मा का जाना
सूचनाओं से भरी
एक नदी का
सूख जाना है बाबूजी
वो अम्मा ही थी
जो रोके -टोके जाने के बाद भी
न रे/न हे
"कहबई न त की "
कहते हुए सबकी ख़बर सबको
बताती थी
बस अम्मा ही तो थी जो
सम्वेदना और सूचना से दरिद्रय
हो रहे,परिवार में पट्टी-पट्टीदार में
संबधो की ऊष्मा को बचा
रही थी,
अब वही चली गयी
जिससे अबतक
सब बचा हुआ था बाबूजी
अम्मा के बाद अब कौन बताएगा
उस अलिखिति विधान को
जिससे पूजाती थी
बन्नी परमेश्वरी
जगदम्बा जी
और ब्रह्म बाबा भी
अम्मा खाली नही गयी है
अपने साथ
एक पूरा संसार लेकर
चली गयी है बाबूजी
अम्मा अभी जरूरी थी
अम्मा में बस अम्मा नही
आप भी थे बाबूजी
अंत में बस इतना ही
मईया भगवती
आपको और अम्मा को
उसलोक में
हमेशा ख़ुश रखे बाबू जी।
आपका
गुंजन
🙏🙏