शनिवार, 20 जनवरी 2018

क्षणिकाएं

दोष
न आपका न मेरा
न किसी तीसरे का
जो है, वो तो बस
समय, समझ, सोच का ।

 टीस
 टूटने ,छूटने या चुभने पर ही,नही
 जुड़ने,गूँथने, गुनने पर भी,
 अक्सर,उभर आती है।