दोष
न आपका न मेरा
न किसी तीसरे का
जो है, वो तो बस
समय, समझ, सोच का ।
टीस
टूटने ,छूटने या चुभने पर ही,नही
जुड़ने,गूँथने, गुनने पर भी,
अक्सर,उभर आती है।
न आपका न मेरा
न किसी तीसरे का
जो है, वो तो बस
समय, समझ, सोच का ।
टीस
टूटने ,छूटने या चुभने पर ही,नही
जुड़ने,गूँथने, गुनने पर भी,
अक्सर,उभर आती है।