शनिवार, 7 अगस्त 2010

सांवली सी वो लड़की

सांवली सी वो लड़की
आँख है जिसकी बड़ी -बड़ी

हंसती है जो फूलो सी
क्या बतलाऊ क्या लगती है
एक आवारे लड़के की

माँ -बेटी हमदम साथी
कोई मुकम्मल नाम नही है ,रिश्ते की
दर्पण -धड़कन ,साँस जीवन
धूप- छांव और धरा -गगन
कैसे बतलाऊ ,क्या लगती है
परिभाषा में बंधी नही है
बस इतना मालूम मुझे है
सब कुछ है वो सांवली लड़की
इक आवारे लड़के की
जान बसी है ,उस पगली में
जो भोली -नादान बड़ी है

इस आवरे 'अनहद'की ////