शनिवार, 20 जून 2009

सफर

शुक्रिया ओ हमराही
हमसाया आप का शुक्रिया
ख़त्म हुआ ,मुदद्तो का मुईज्ज़ा
लो सफर पूरा हुआ ,
वक्त आ चला है , रुख़सत का ,
थम गया अब कारंवा ,
सवालों का जबाबो का
हँसने, हँसाने का
रूठने , मनाने का
लड़ने , रुलाने का
डांटने , चिढाने का
समझाने , झुंझलाने का
एक साथ खाने का
मन्दिर में ,साथ सर झुकाने का
अब तो बस बासबब -
बेइंतिहा है सिलसिला
एहसास का ,एतबार का
याद का जज़्बात का
ख्वाब और ख्याल का(२)////
अनहद