मन मेरा आज फिर से , हुआ बावरा
याद आयी वही ,हर वो कही -अनकही
नज़रों में दुबारा ,वो दौर जिंदा हुआ
खो गए शब्द सारे ,अश्क बहने लगा
चूक मुझसे हुई थी ,कही न कही
तभी तो मिली है ,सज़ा इतनी बड़ी
दोस्त , है आज फिर से ,दौरा पड़ा
ज़िद वही ,मासूम सी , है आज भी
ओठ सीला हुआ सा ,गला रुंधा हुआ
तर्क कोई नहीं ,सून रहा मन मेरा
मन सूनता कहा है ,किसी और का
मन है आज भी , बस आपका
हाँ , कल आज में , है फर्क बड़ा
तब साथ था , हूँ आज अकेला यहाँ
हां अकेला यहाँ ................
अनहद
2 टिप्पणियां:
speechless...
bahut sundar prastuti..........badhai
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