शनिवार, 20 सितंबर 2008

उम्रभर

मैं दिया ,उम्मीद का,

जलता रहूँगा ,उम्रभर

हर रोज ,अँधेरी रात से ,

लड़ता रहूँगा, उम्रभर

मैं जलूँगा ,तम् हरूँगा ,

लौ न अपनी, मै कभी ,

मध्यम करूँगा ,

आंधी औ तूफान में भी ,

मैं सदा जलता रहूँगा .

साथ उनके, हर कदम पर ,

मैं रहूँगा ,उम्रभर

राह उनकी , हर घड़ी ,

रौशन करूँगा ,उम्रभर

बस अकेला, मैं यूं ही,

जलता रहूँगा ,सफर की ,

दुस्वारियो को ,

दूर करता ही रहूँगा ,उम्रभर

मैं दिया ,उम्मीद का ..........

अमिताभ

2 टिप्‍पणियां:

बेनामी ने कहा…

dil ke karib lagti hai aapki kavita. satish.......

संगम Karmyogi ने कहा…

adhbhut,alaukik,avismarniya,
avishvasaniya....
kaafi suljhi hui lekhni hai...!