मंगलवार, 16 सितंबर 2008

बोलिए फ़िर क्या करे

जो आदत हो तो ,
छोर दे ,
आवश्यकता हो तो ,
विकल्प ले ।
पर ,अनिवार्यता हो तो ,
बोलिए फ़िर क्या करे ।
जो गर जिद्द हो तो ,
छोर दे ,
ज़रूरत हो तो ,
टाल दे ।
पर, जिंदगी हो तो ,
बोलिये फ़िर क्या करे ।
जो केवल सोच हो तो ,
बदल ले ,
सपना हो तो,
न देखे ।
पर ,साँस हो तो
बोलिए फ़िर क्या करे ।
जो बस पागलपन हो तो
छोर दे ।
प्यार हो तो ,
मुंह मोर ले ।
पर ,प्राण हो तो
बोलिए फ़िर क्या करे ।??
अमिताभ भूषण









1 टिप्पणी:

बेनामी ने कहा…

thik hi likha hai janab ek dam sacchai baya karte hai aapkr,alfaz=== aasha hai aise hi bebak apni rai likhenge //// DINESH CHANDRA