शनिवार, 17 अक्तूबर 2009

सैनिक का ख़त घरवालो के नाम


लक्ष्मी की अर्चना

माँ हृदय रूपी दीप में वात्सल्य अपना भर लेना
पितृ प्रेम की बाती रख ,लक्ष्मी की अर्चना करना

भाई अपने हृदय दीप में तू ,राष्ट्र सेवा भाव भरना
कर्म की बाती रख कर ,लक्ष्मी की अर्चना करना

बहन अपने हृदय दीप में ,आँखों का सूनापन भरना
बचपन की अवीस्मर्निये यादो की बाती रखकर
लक्ष्मी की अर्चना करना

बेटा तेरा यह बाप कही , हो सके तुझे न देख सके
पर तू अपनी माँ की आँखों में ,मेरी तस्वीर निहार लेना

तुझसे अब मै क्या कहू सखे .............
दीप की नियति है ,अपने तल में अँधेरा समेटे रखना
तू त्याग साधना की प्रतिमूर्ति ,नित्य कर्म पथ पर
तिल- तिल कर जलती रहना
इस जन्म में मुझे क्षमा करना

प्रिये अपने हृदय दीप में ,सजल नयनों का जल भरना
बिरहा की बाती रखकर ,लक्ष्मी की अर्चना करना
लक्ष्मी की अर्चना करना (//)

अनहद

3 टिप्‍पणियां:

संगम Karmyogi ने कहा…

हृदयविदारक, मार्मिक रचना है...
श्रधान्जली है,
जय हे!

Neha Jain ने कहा…

बहुत ही उत्तम रचना. गहराई है. देशप्रेम का भाव झलकता है. देश की रक्षा कर रहे सैनिकों और उनके परिवारों को काफी कुछ त्यागना पड़ता है. उनको मेरा सलाम.

Neha Jain ने कहा…

बहुत ही उत्तम रचना. गहराई है. देशप्रेम का भाव झलकता है. देश की रक्षा कर रहे सैनिकों और उनके परिवारों को काफी कुछ त्यागना पड़ता है. उनको मेरा सलाम.