मंगलवार, 22 जुलाई 2014

तेरा -मेरा रिश्ता

मन के अंदर
द्वन्द उठा है,
बड़ा बवंडर
घूम रहा है
पूछ रहा हैं,
जोर- जोर से
ओर-ओर से
तेरा- मेरा रिश्ता क्या हैं?

जटिल प्रश्न है
उत्तर क्या दूँ !
जो ख़ुद जानू
तब तो कह दूँ।

संबंधों के सब सांचों में
नामों के सब खांचों में
अदल-बदल कर रखकर देखा
थोड़ा ज्यादा थोड़ा गहरा
एक नहीं हर बार रहा है,
तेरा -मेरा रिश्ता।

शब्दकोश से नामकोश से
आगे का कुछ,
अनहद अव्यक्त
जिसको जाने बस दो अंतस।

कुछ और नहीं ,
बस अनुभूति है
तेरा -मेरा रिश्ता
हाँ, तेरा- मेरा रिश्ता ।।।

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